Business Ideas: सुपारी उत्पादन (Betel Nut Production) के मामले में भारत पहले स्थान पर है।
सुपारी के कुल उत्पादन में अकेले भारत का 50 प्रतिशत उत्पादन है और इसका यहां इस्तेमाल पान, गुटखा मसाला के रूप में किया जाता है।
________________________
बिहार की सभी लेटेस्ट रोजगार समाचार और स्कॉलरशिप से अपडेटेड रहने के लिए इस ग्रुप में अभी जुड़े. (अगर आप टेलिग्राम नहीं चलाते हैं तो फेसबुक को फॉलो करें, ताकि बिहार की कोई नौकरी नोटिफिकेशन न छूटे)
Whatsapp Group | Join Now |
Follow Facebook | Join & Follow |
Telegram Group | Join Now |
धार्मिक अनुष्ठानों (Religious Rituals) के दौरान भी इसका उपयोग देखा जा सकता है और किसान सुपारी (Betel Nut) की खेती करके लंबे समय तक मुनाफा कमा सकते हैं।
खेती के लिए ये मिट्टी है उपयुक्त:
सुपारी की खेती किसी भी तरह के मिट्टी पर की जा सकती है. हालांकि, दोमट चिकनी मिट्टी (Loam Clay) इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
50 से 60 फीट लंबे यह पेड़ 5 से 8 सालों में फल देना शुरू कर देते है और ये पेड़ तकरीबन 70 साल तक मुनाफा (Profit) देते रहते है.
किस तकनीक से करते हैं सुपारी की खेती:
सुपारी के पौधों की खेती बीज से पौधे को तैयार करने यानी की नर्सरी तकनीक (Nursery Technique) से करते है।
सबसे पहले बीजों को बीजों को क्यारियों में तैयार किया जाता है और फिर वहां पौधे के रूप में विकसित होने के बाद इसकी खेतों में रोपाई कर दी जाती हैं।
जलनिकासी की अच्छी व्यवस्था:
ध्यान रखें कि खेतों में जलनिकासी (Water Withdrawal) की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए.
इसके सिए लिए खेतों में छोटी-छोटी नालियां भी बनाई जा सकती है और बता दें कि मॉनसून यानी की बारिश की वजह से इनके पौधों को जुलाई में लगाना सबसे उपयुक्त होता है।
खाद के तौर पर गोबर की खाद और कम्पोस्ट (Compost) का उपयोग कर सकते है।
इतना है मुनाफा:
सुपारी की खेती करने वाले किसानों के लिए धैर्य की बेहद आवश्यकता है. इसके पेड़ 5 से 8 सालों के बीच पैदावार देना शुरू कर देते हैं।
बाजार में सुपारी (Betel Nut) अच्छे रेट पर बिकती है और इसकी कीमत करीब 400 रुपए से लेकर 600 रुपए प्रति किलो तक होती है।
________________________
सभी लेटेस्ट Sarkari Naukri अपडेट व अन्य News जानने के लिए इस व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े.
Whatsapp Group | Join Now |