Edible Oil Price Hike: पाम ऑयल के दाम में आने वाले दिनों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है क्योंकि इसे पैदा करने वाले प्रमुख देशों में अधिक बारिश होने से उत्पादन पर बेहद खराब असर पड़ा है।
पाम ऑयल बनाने वाले देशों में उत्पादन घटने की आशंका है, तो वहीं दूसरी ओर बाकी देशों में इसकी मांग की तेज बनी रहेगी।
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पाम ऑयल का इस्तेमाल खाने के साथ ही Biofuel में तेजी से बढ़ते हुए देखा जा रहा है, जिससे आने वाले समय में इसके दाम बढ़ने के आसार हैं।
इस साल मार्च महीने में तेल के दाम में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई थी, लेकिन बाद में इसमें कुछ गिरावट भी हुई पर अब फिर महंगाई की आशंका बढ़ती दिख रही है।
खाने के तेल हो जाएंगे महंगे:
पाम ऑयल के दाम में बढ़ोतरी होने से हर तरह के खाने के तेल महंगे हो जाएंगे।
खाने का तेल बनाने के लिए पाम ऑयल का इस्तेमाल अधिकता से किया जाता है. इसी तरह खाने-पीने के और भी सामान जैसे कि Biscuits, Noodles आदि भी महंगे हो जाएंगे।
साबुन बनाने में भी इस तेल का प्रयोग किया जाता है और पाम ऑयल के मंहगे होने से इन सभी चीजों के दाम एक बार फिर बढ़ सकते हैं जैसा कि कुछ महीने पहले भी देखा गया था।
आम लोगो पर पड़ेगी महंगाई की मार:
पाम ऑयल के महंगे होने से आम लोगों पर महंगाई की मार पड़ेगी जिससे वे कई महीने से जूझ रहे है।
रूस – यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ कई सामानों के दाम आसमान छूते हुए दिखाई रहे है।
इसमें एक कड़ी पाम ऑयल भी जोड़ सकता है और सबसे बड़ी चिंता इस बात की है की पाम ऑयल का उत्पादन घटने और अधिक निर्यात बढ़ने से इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे उत्पादक देशों का स्टॉक भी घट सकता है।
ऐसी स्तिथि में पाम ऑयल के दाम में बढ़ोतरी:
कारोबारी बताते हैं कि भारत ने नवंबर महीने के लिए पाम ऑयल के आयात का रेट 776 डॉलर प्रति टन तय किया है।
इसमें Cost, Insurance और Transportation भी साथ में शामिल है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम ऑयल आयातक देश है।
पाम ऑयल की जनवरी डिलीवरी 1010 डॉलर प्रति टन पर ऑर्डर किया गया है और यहां हम इसे 776 से सीधा 1010 डॉलर पर दाम पहुंचते हुए देख रहे है।
लेकिन मौजूदा हालात के हिसाब से कीमतें और भी चढ़ सकती हैं अगर इंडोनेशिया ने Export Tax को फिर से बहाल करने का निर्णय लिया।
इंडोनेशिया ने जुलाई में एक्सपोर्ट टैक्स को खत्म कर दिया था क्योंकि स्टॉक बढ़ने के चलते पाम तेल के दाम में काफी बड़ी गिरावट देखी गई थी।
मार्च में इसके दाम 2010 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गए थे, हालांकि बाद में इसमें तेजी से गिरावट भी देखी गई।
पाम ऑयल को सोया तेल से कड़ी टक्कर मिलती दिखती है जिसकी मांग दुनिया के सभी देशों में अधिक बनी रहती है और बाजार में कई तरह के तेल होने के बावजूद पाम ऑयल की मांग हमेशा से ज्यादा बनी रहती है।
यही वजह है कि खाने के तेल में इसके दाम समय-समय पर बढ़ते रहते हैं।
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