Self Decision Maker 4 Tips: क्या आप भी एक ऐसे ही Parent हैं जो अपने बच्चे का हर Decision लेता है? तो यह जरूर पढ़ें.
Independent या नहीं
भारतीय Parent अपने बच्चों को Dependent बनाए रखने के लिए काफी Famous हैं. हमारे आस-पास ही परिवारों में ही, अनेक उदाहरण देखने को मिल जाएंगे.
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तीस वर्ष के युवा भी अपनी Financial Decision खुद नहीं ले पाते. शादी-ब्याह सम्बन्धी Decisions तो खुद युवा द्वारा ले लिया जाना.
यह हमारे देश में सामाजिक रूप से एक अपराध ही माना जाता है, कम से कम
ऐसा क्यों है
माता-पिता अक्सर ऐसा ही सोचते हैं कि बच्चा या बच्ची अभी Mature नहीं हुआ है, और उसका Decision गलत ही होगा.
वे अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर बेहद ही चिंतित होते है और Child’s Life में कोई भी गलत निर्णय नहीं चाहते, और अपने अनुभव को श्रेष्ठ मानते हैं.
लेकिन ये सोच तब एक Problem बन जाती है जब बच्चे / युवा इसके आदि बन जाते हैं, और पूरी तरह से वह Surrender कर देते हैं.
अब उनकी सोच का विकास रुक जाता है, और वो हर छोटी-छोटी चीज के लिए मम्मी या पापा की ओर देखने लगते हैं.
माता पिता के बाद
जब तक Parents हैं, तब तक तो सब कुछ ठीक, लेकिन उनके बाद, ऐसे बच्चों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है, क्योंकि अन्य लोग उन्हें कभी भी निस्वार्थ सलाह तो बिल्कुल ही नहीं दे पाते हैं.
अब नतीजतन कई बड़े Decision गलत हो सकते हैं. इसका सिर्फ एक ही समाधान एक ही है – बच्चों को अपने पैरो पर खड़ा किया जाए, सोचना सिखाया जाए, और Decision लेना भी.
अपने बच्चों को Independent Decision-Maker बनाने के 5 स्टेप्स
1) decision लेने के लिए प्रोत्साहित करें,
खराब Decision के लिए Criticize बिल्कुल ना करें. अधिकतर Parents जाने-अनजाने अपने बच्चों के हर छोटे-बड़े Decision को Criticize करते हैं.
भले ही बच्चे ने कोई Decision गलत लिया है, लेकिन बुरी तरह Criticize ना करें. बच्चा अभी Learning Mode में है और करते-करते ही सीखेगा.
2) उन्हें रोजमर्रा के फैसलों में शामिल करें:
बड़े लोग अक्सर बच्चों को रोजमर्रा के Decision में शामिल ही नहीं करते! मम्मी को यदि ये पूछना है कि शाम को खाने में क्या बनेगा.
तो वह या तो पापा से या दादा, दादी से ही पूछेंगी. दीवाली के समय घर में कौन सा कलर करवाना चाहिए, या फिर कहां घूमने जाना चाहिए,
बच्चे को कौन से कपड़े पहनना चाहिए, कौन से खिलौनों से खेलना चाहिए सभी Decision उनकी राय पूछे बिना ही किए जाते हैं.
3) फैसलों में ना शामिल करने का एक बड़ा कारण:
कई बार माता-पिता द्वारा बच्चों को रोजमर्रा के फैसलों में ना शामिल करने का एक बड़ा कारण Financial (अर्थात पैसों से सम्बंधित) हो सकता है.
अब आप यह मान लीजिए किसी भीड़ भरी दुकान में पिता ने अपने बच्चे से उसकी पसंद की Shirt के बारे में पूछा और पसंदीदा Shirt उनके बजट के बाहर है.
तो वह सार्वजानिक स्थान पर इस तरह की Situation Handle करना किसी भी पिता के लिए यह Difficult बन जाता है, लेकिन यही Training की तो बेहद ही आवश्यकता है.
4) बच्चे को सही निर्णय लेने के काबिल बनाएं:
इस Training के लिए Parents को चाहिए पहले वे अपने बच्चे को Select करने का मौका दें, फिर उन से उनकी पसंद का लॉजिक पूछें,
जैसे की तुमने फलां चीज क्यों चुनी? फिर आप उनसे उस चुनी हुई चीज के उपर बात कर सकते हैं उन्हें यह बता सकते हैं क्यों फलां चीज अच्छी नहीं है, या वास्तविकता क्या है.
अब आप इसी तरह से बच्चे धीरे-धीरे चीजों को सीखते हुए निर्णय लेने में आत्मनिर्भर बन सकते हैं.
5) बच्चों को अपनी सोच के बारे में जागरूक बनाएं:
अपनी सोच के बारे में जागरूक होना, टेक्निकल भाषा में यह Metacognition Important होता है. विशेषज्ञों का भी मानना है.
कि यह बच्चों के निर्णय लेने के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनकी जिम्मेदारियों, स्कूल असाइनमेंट और शेड्यूल की योजना, निगरानी और मूल्यांकन को सक्षम बनाता है.
गणित में किसी की चुनौतियों के बारे में जागरूकता, आगामी Assignments पर बेहतर योजना बनाने, अधिक परिणाम प्राप्त करने की ओर ले जा सकती है.
आज से ही अपने बच्चों को जीवन का सबसे बड़ा तोहफा, आत्मनिर्भरता देना शुरू करें.
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