Mushroom Benefits: अभी तक सफेद रंग के मशरूम (White Mushroom) देखने को मिलते हैं, किंतु अब इसे रंगीन (Colorful) बनाया जा रहा है।
पश्चिम चंपारण के 9वीं कक्षा के दो छात्र होदयप्पा शकील एवं सफी अख्तर द्वारा किए गए प्रयोग (Experiment) में उनपर पानी की जगह चुकंदर,
________________________
बिहार की सभी लेटेस्ट रोजगार समाचार और स्कॉलरशिप से अपडेटेड रहने के लिए इस ग्रुप में अभी जुड़े. (अगर आप टेलिग्राम नहीं चलाते हैं तो फेसबुक को फॉलो करें, ताकि बिहार की कोई नौकरी नोटिफिकेशन न छूटे)
Whatsapp Group | Join Now |
Follow Facebook | Join & Follow |
Telegram Group | Join Now |
गाजर और हल्दी से निकाले गए रस का इस्तेमाल कर के मशरूम को अलग-अलग प्रकार का रंग दिया जा रहा है।
उनका दावा है कि यह है की इससे मशरूम न सिर्फ रंगीन होगा, बल्कि उसमें अतिरिक्त पोषक तत्व (Additional Nutrients) भी जुड़ेंगे.
उनके शोध में शिक्षकों द्वारा स्थापित जिला बाल विज्ञान कांग्रेस (District Children’s Science Congress) से जुड़ी संस्था भाभा साइंस क्लब का सहयोग मिल रहा है।
इसमें वे 5 महीने से जुटे है और यह शोध अभी प्रारंभिक चरण में है, इन दोनों के प्रोजेक्ट का चयन राज्य स्तर (State Level) पर किया गया है.
9 से 11 दिसंबर तक पटना के तारामंडल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में इसे प्रस्तुत किया जाएगा।
वहां चयनित होने पर अगले साल 27 से 31 जनवरी के बीच हैदराबाद में होने वाली प्रदर्शनी (Exhibition) में दोनों को शामिल होने का मौका मिलेगा।
आकर्षक रूप देकर कारोबार बढ़ाने का उद्देश्य:
परियोजना पर मार्गदर्शन (Guidance) कर रहीं डा. रहमत यास्मिन के अनुसार, मशरूम उगाने के लिए पैकेट (भूसा) में चुकंदर, गाजर या हल्दी का रस डाला जाता है.
इससे पर्याप्त नमी होती है और इसके बाद मशरूम जब उगने लगते हैं तब उनपर पानी की जगह उसी रस का छिड़काव किया जाता है।
यह प्रक्रिया दिन 2 दो बार की जाती है, मशरूम रस के प्राकृतिक रंगों (Natural Colors) को अवशोषित (Absorb) करता है और उनके रंग में विकसित होने लगता है।
प्रोटीन, विटामिन और आयरन से भरपूर:
भाभा साइंस क्लब को कोरोना काल (Corona Period) में निबंधित किया गया था.
इससे वैसे बच्चे जुड़े हैं जो स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं और अक्सर नए-नए प्रयोग करते है।
शकील का कहना है कि रसों को डालने से उसका पोषक तत्व (Nutrients) मशरूम में समाहित होता हैं.
हालांकि, विभिन्न प्रकार के रसों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों का कितना प्रतिशत मशरूम में समाहित होगा, इसपर अगले चरण में शोध किया जाएगा।
इधर, Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University, Pusa के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय में भोजन एवं पोषण विभाग की सहायक प्राध्यापक डा. कुमारी सुनीता का कहना है कि यह अनूठी पहल है.
________________________
सभी लेटेस्ट Sarkari Naukri अपडेट व अन्य News जानने के लिए इस व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े.
Whatsapp Group | Join Now |