जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इस हमले में 27 लोगों की जान गई, जिसमें कई पर्यटक और तीन सैन्य अधिकारी शामिल थे। भारत ने इस हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF) को ठहराया है। इसके जवाब में, भारत ने Indus Waters Treaty को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, अटारी बॉर्डर बंद कर दिया, और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा पर पूरी तरह रोक लगा दी। इन फैसलों ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।
Indus Waters Treaty रद्द | भारत ने 1960 के जल समझौते को निलंबित किया, जिससे पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति पर गहरा असर पड़ेगा। |
अटारी बॉर्डर बंद | भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार और आवाजाही पूरी तरह रुक गई। |
पाक नागरिकों के वीजा पर रोक | पाकिस्तानी नागरिकों को भारत में प्रवेश नहीं मिलेगा, और मौजूदा लोगों को 48 घंटे में देश छोड़ना होगा। |
राजनयिक संबंधों पर असर | भारत ने इस्लामाबाद में अपना दूतावास बंद करने और पाकिस्तानी राजनयिकों को निकालने का फैसला लिया। |
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव | पाकिस्तान में पानी और व्यापार की कमी से आर्थिक संकट और सामाजिक अशांति बढ़ सकती है। |
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने बढ़ाया तनाव
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे भारत को झकझोर दिया। Pahalgam terror attack में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें एक नवविवाहित नौसेना अधिकारी और दो अन्य सैन्य अधिकारियों की भी जान गई। इस हमले की जिम्मेदारी Lashkar-e-Taiba के सहयोगी संगठन TRF ने ली। भारत ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सबूत मानते हुए कड़े कदम उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली में सुरक्षा समिति की बैठक की और इन फैसलों को मंजूरी दी।
Indus Waters Treaty रद्द: पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका
Indus Waters Treaty 1960 के तहत, भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का पानी बंटता है। इस समझौते के अनुसार, पाकिस्तान को इन नदियों का 80% पानी मिलता है, जो उसकी खेती, पेयजल, और बिजली उत्पादन के लिए जरूरी है। भारत ने इस समझौते को निलंबित कर दिया, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान हो सकता है।
- कृषि पर असर: पाकिस्तान की 90% खेती Indus river system पर निर्भर है। पानी की कमी से गेहूं, चावल, और कपास जैसी फसलों का उत्पादन रुक सकता है, जिससे खाद्य संकट पैदा हो सकता है।
- पेयजल संकट: सिंधु नदी प्रणाली कई शहरों को पीने का पानी देती है। कमी से जनजीवन प्रभावित होगा।
- बिजली उत्पादन: झेलम और चिनाब पर बने बांधों से बिजली बनती है। पानी कम होने से बिजली संकट बढ़ेगा।
पाकिस्तान के विशेषज्ञों का कहना है कि यह उसके लिए “जीवनरेखा” काटने जैसा है।
अटारी बॉर्डर बंद: व्यापार और आवाजाही पर रोक
भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया। यह दोनों देशों के बीच व्यापार और लोगों की आवाजाही का मुख्य रास्ता था।
- आर्थिक नुकसान: पाकिस्तान का भारत के साथ सीमित व्यापार पूरी तरह ठप हो जाएगा। पंजाब प्रांत के व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान रुकेगा: दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक यात्राएं, जैसे करतारपुर कॉरिडोर, प्रभावित हो सकती हैं।
पाक नागरिकों के वीजा पर रोक और 48 घंटे का अल्टीमेटम
भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा रद्द कर दिया और भारत में मौजूद पाकिस्तानियों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके अलावा:
- SAARC वीजा रद्द: पाकिस्तानी नागरिक अब SAARC वीजा छूट का लाभ नहीं ले सकेंगे।
- पर्यटन और व्यापार प्रभावित: पाकिस्तानी व्यापारी और पर्यटक भारत नहीं आ सकेंगे, जिससे दोनों देशों के बीच सीमित संपर्क और कम हो जाएगा।
राजनयिक संबंधों में दरार
भारत ने इस्लामाबाद में अपना दूतावास बंद करने और नई दिल्ली में पाकिस्तानी राजनयिकों को “persona non grata” घोषित कर निकालने का फैसला लिया।
- कूटनीतिक रास्ते बंद: दोनों देशों के बीच बातचीत के रास्ते अब बंद हो गए।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: पाकिस्तान विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत के खिलाफ शिकायत कर सकता है, लेकिन भारत का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ यह कदम जरूरी है।
क्षेत्रीय और सामाजिक प्रभाव
इन फैसलों से पाकिस्तान में सामाजिक और आर्थिक अशांति बढ़ सकती है। पानी की कमी और व्यापार बंद होने से:
- सामाजिक अशांति: पानी और खाद्य संकट से जनता में गुस्सा बढ़ सकता है, जिससे पाकिस्तान सरकार पर दबाव पड़ेगा।
- आतंकवाद का खतरा: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक संकट से आतंकी संगठनों को और समर्थन मिल सकता है, जो भारत के लिए भी खतरा है।
भारत के लिए चुनौतियां
हालांकि ये फैसले पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाएंगे, लेकिन भारत के लिए भी यह आसान नहीं होगा। Indus Waters Treaty को रद्द करने के लिए भारत को बड़े बांध और जलाशय बनाने होंगे, जो कई साल ले सकता है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर विश्व बैंक, भारत पर दबाव डाल सकता है।