Sarpagandha Business Farming: सर्पगंधा (Sarpagandha) का पौधा 18 माह में उपज देना शुरू कर देता है. इससे आप लगातार 4 साल तक फूल और बीज हासिल कर सकते हैं।
एक एकड़ में करीब 25-30 क्विंटल सर्पगंधा का उत्पादन होता है और प्रति किलो 70-80 Rupees में इसकी बिक्री होती है। इसके फूलों और बीजों से महज 75 हजार Rupees खर्च कर डेढ़ साल में 3-4 लाख Rupees की कमाई हो सकती है।
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आज अधिकतर किसान बाजार और मांग के अनुसार व्यवसायिक फसलों (Business) की खेती जैसे – खाद्य तेल, फुल, सब्जियां, औषधियां जैसी Commercial Crops की खेती कर अधिक मुनाफा हासिल कर रहें हैं.
जिसके कारण पिछले कुछ वर्षों से किसानों के बीच मुनाफेदार पौधों की खेती का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. इन्ही फसलों में एक फसल सर्पगंधा भी है. इसकी खेती कर किसान भाई कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकता है.
और यह फसल किसानों को एक एकड़ में लाखों रूपये तक का मुनाफा दे सकती है. Medicinal Properties के दृष्टि से सर्पगंधा एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है. इससे कई तरह की दवाएं तैयार की जाती है।
इसके फूल, बीज और जड़ बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकते हैं. यही वजह है कि किसानों के बीच इसकी खेती का Trend तेजी से बढ़ रहा है। सर्पगंधा अपने औषधीय गुणों के कारण बाजार में अच्छे दाम पर बिकता हैं।
जिसकी वहज से इसकी खेती कम लागत में किसानों को अच्छा मुनाफा दिलावा सकती है.
Sarpagandha Cultivation खेती :
Sarpagandha की गन्धा भारत तथा चीन का एक पारंपरिक औषधि पौधा है. यह एपोसाइनेसी परिवार का द्विबीजपत्री, बहुवर्षीय झाड़ीदार सपुष्पक और महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है.
भारत में तो इसके प्रयोग का इतिहास 3 हजार वर्ष पुराना है. सर्पगन्धा के पौधे की ऊँचाई लगभग 6 इंच से 2 फुट तक होती है. इसकी मूल जड़ प्राय: 20 से. मी. तक लम्बी होती है. इसकी पत्ती एक सरल पत्ती का उदाहरण है.
Sarpagandha का तना मोटी छाल से ढका होता है. इसके फूल गुलाबी या सफेद रंग के होते हैं. और ये गुच्छों में पाए जाते हैं. भारत में इसकी खेती समतल एवं
Mountainous Regions में होती है। भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के लगभग सभी क्षेत्रों में सर्पगन्धा के पौधे स्वाभाविक रूप से उगते है।
सर्पगंधा ( Sarpagandha ) में छिपे औषधी गुण :
Sarpagandha an Ayurvedic Medicine है, जिसमें कई प्राकृतिक औषधी गुण छिपे हुए हैं। सर्पगंधा की मदद से Physical and Mental दोनों तरह के रोगों का इलाज संभव है। इसमें औषधीय गुण मुख्यतः पौधे की जड़ों में पाये जाते हैं.
सर्पगंधा की जड़ में 55 से भी ज्यादा क्षार पाये जाते हैं। लगभग 80 Percent क्षार जड़ों की छाल में केन्द्रित होते हैं. सर्पगन्धा में रिसार्पिन तथा राउलफिन नामक उपक्षार पाया जाता है.
सर्पगंधा की जड़ों में क्षारों के अतिरिक्त ओलियोरेसिन, स्टेराल (सर्पोस्टेराल), असंतृप्त एलकोहल्स, ओलिक एसिड, फ्यूमेरिक एसिड, ग्लूकोज, सुकरोज, आक्सीमीथाइलएन्थ्राक्यूनोन एवं खनिज लवण भी पाये जाते हैं.
इन सब में Oleoresin Physiology रुप से सक्रिय होता है तथा औषधी के निर्माण के लिए उत्तरदायी होता है.
सर्पगंधा ( Sarpagandha ) के औष उपयोग :
सर्पगंधा की जड़े तिक्त पौष्टिक, ज्वरहर, निद्राकर, शामक, गर्भाशय उत्तेजक तथा विषहर होती हैं. सर्पगंधा की जड़ों का उपयोग प्रभावी विषनाशक के रूप में सर्पदंश तथा कीटदंश के उपचार में होता है.
पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में सर्पगंधा की जड़ों का उपयोग उच्च रक्तचाप, ज्वर, वातातिसार, अतिसार, अनिद्रा, उदरशूल, हैजा आदि के उपचार में होता है. दो-तीन साल पुराने पौधे की जड़ को उखाड़ कर सूखे स्थान पर रखते है।
इससे जो दवाएँ निर्मित होती हैं, उनका उपयोग उच्च रक्तचाप, गर्भाशय की दीवार में संकुचन के उपचार में करते हैं. अनिद्रा, हिस्टीरिया और Mental Stress को दूर करने में सर्पगन्धा की जड़ का रस, काफी उपयोगी है.
Sarpagandha को आयुर्वेद में निद्राजनक कहा जाता है इसका प्रमुख तत्व रिसरपिन है, जो पूरे विश्व में एक औषधीय पौधा बन गया है.
एक एकड़ में 3-4 लाख रुपए की कमाई
विशेषज्ञों के अनुसार सर्पगंधा (Sarpagandha) का पौधा 18 माह में उपज देना शुरू कर देता है. इससे आप लगातार 4 साल तक फूल और बीज हासिल कर सकते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार बाजार में इसकी जड़े तकरीबन 150 Rs per kg बिकती है। इसके अलावा बाजार में इसके बीज करीब 3 हजार Rs per kg तक बिकते हैं.
कुल मिलाकर इसके फूलों और से महज 75 हजार रुपये खर्च कर डेढ़ साल में 3 4 Lakh Rupees की कमाई हो सकती है. सर्पगंधा के फल, तना, जड़ सभी चीजों का उपयोग होता है.
इसलिए मुनाफा ज्यादा होता है. एक एकड़ में करीब 25-30 Quintal सर्पगंधा का उत्पादन होता है और प्रति किलो 70-80 रुपये में इसकी बिक्री होती है.
सर्पगंधा की खेती ( Sarpagandha Farming ) के लिए उपयुक्त जलवायु व तापमान :
यह एक छाया पसंद पौधा है, इसलिए आम, लीची एवं साल पेड़ के आसपास प्राकृतिक रूप से उगाया जा सकता है. Sarpagandha की खेती उष्ण एवं समशीतोष्ण जलवायु में की जा सकती है.
किन्तु इसकी अधिक उपज गर्म तथा अधिक आर्दता वाली परिस्थितियों में मिलती है. 10 Degree Centigrade से 38 10 Degree Centigrade तक इसकी खेती के लिए बेहतर तापमान है।
जून से अगस्त तक इसकी खेती की जाती है. 1200-1800 मिलीमीटर तक वर्षा वाले इलाकों में सर्पगंधा की खेती आसानी से की जा सकती है.
सर्पगंधा की खेती (Sarpagandha Cultivation) की देख-भाल :
सिंचाई – पहली सिंचाई तो रोपाई के तुरंत बाद करे. जनवरी माह से लेकर वर्षा काल आरंभ होने तक 30 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें. वर्षा के दिनों में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है.
इसके बाद जाड़े के दिनों में 45 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें. ध्यार रहें इसकी सिंचाई नमी व आवश्यकता के अनुसार समय-सम करें.
निराई-गुड़ाई – खेत में खरपतवार (Weed) काफी मात्रा में हो, तो पौधे की बढ़वार कम हो जाती है. यदि समय पर खर पतवार नियंत्रित (Rudder Controlled) नहीं किए जाए तो इससे सर्पगंधा के पौधे को बढ़वार में नुकसान होता है.
यहां तक की पौधे भी खराब हो सकते है. अतः लगाने के 20-25 दिन के बाद निराई-गुड़ाई कर खेत को Weed मुक्त कर लेना चाहिए. साल में दो-5 बार Weeding Hoeing करना चाहिए.
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