Good News : अब ओपन स्कूल के छात्र भी दे सकेंगे NEET Exam, सुप्रीम कोर्ट ने हटाया प्रतिबंध
Good News : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और राज्य शिक्षा बोर्डों द्वारा मान्यता प्राप्त सभी ओपन स्कूलों को अब राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के लिए National Medical Council (NMC) के द्वारा मान्यता दी जाएगी.
Good News : ओपन स्कूल से 12वीं की पढ़ाई करने वाले छात्रों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है और अब उनके डॉक्टर बनने का सपना भी पूरा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और राज्य शिक्षा बोर्डों द्वारा मान्यता प्राप्त सभी ओपन स्कूलों को अब राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के लिए National Medical Council (NMC) के द्वारा मान्यता दी जाएगी. अब मान्यता प्राप्त ओपन स्कूल से 12वीं पास छात्र भी नीट परीक्षा में बैठने के पात्र होंगे.
ओपन स्कूल के छात्र दे सकेंगे NEET परीक्षा
हम आप सभी को बता दे कि, Medical Council of India (MCI) ने ओपन स्कूल के छात्रों को नीट परीक्षा में बैठने की इजाजत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का सहारा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के पक्ष में फैसला सुनाया है और उन्हें मेडिकल प्रवेश परीक्षा यानी कि National Eligibility cum Entrance Test (NEET) में शामिल होने की इजाजत दे दी है.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मायने
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले उन सभी छात्रों राहत मिली है जो आर्थिक तंगी या किसी अन्य परेशानी के कारण नियमित रूप से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं और डॉक्टर बनने का उनका सपना पूरा नहीं हो पाता है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये छात्र NEET परीक्षा देकर मेडिकल की पढ़ाई भी कर सकेंगे.
27 साल पहले लगा था प्रतिबंध
Medical Council of India (MCI) ने ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन, 1997 पर विनियमों की धारा 4 (2) ए के प्रावधानों के मुताबिक ऐसे उम्मीदवारों को NEET exam में बैठने से रोक दिया था. बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में, इस प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया. एमसीआई के इस प्रावधान को रद्द करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्र शेखर की बेंच ने कहा था कि, मेडिकल ने यह धारणा सामने रखी है कि, जो छात्र आर्थिक तंगी, कठिनाइयों और सामाजिक कारणों से नियमित स्कूल नहीं जाते हैं. वे अन्य छात्रों की तुलना में हीन और कम सक्षम हैं.
कोर्ट ने कहा कि, एमसीआई का प्रावधान संवैधानिक प्रावधानों और भारतीय जनता की धारणा के खिलाफ है. ऐसी धारणा को अदालत ने खारिज करने का फैसला किया था क्योंकि यह संवैधानिक प्रावधानों और सार्वजनिक धारणा के खिलाफ थी. साथ ही कहा कि, यह संविधान के अनुच्छेद 14 और पेशेवर डिग्री हासिल करने के अवसर के अधिकार का उल्लंघन है. बाद में एमसीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसमें अब फैसला आया है.
पत्र और सार्वजनिक नोटिस के बाद कोर्ट ने दी हरी झंडी
हम आप सभी को बता दे कि, उक्त मामला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच के सामने रखा गया. जब मामला उठा, तो प्रतिवादी के वकील ने डिवीजन को एनएमसी के Undergraduate Medical Education Board द्वारा संबोधित दिनांक 02.11.2023 के पत्र के बारे में सूचित किया. इस पत्र में लिखा था कि, ‘सीबीएसई और राज्य शिक्षा बोर्ड के द्वारा मान्यता प्राप्त सभी ओपन स्कूलों को एनईईटी के उद्देश्य से एनएमसी द्वारा मान्यता देने पर विचार किया जाएगा.’
कोर्ट ने क्या कहा?
उसी तारीख को बोर्ड द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस भी अदालत के सामने रखा गया था जिसमें एनएमसी ने Graduate Medical Education Regulation, 2023 तैयार किया है. इसमें कहा गया है कि, अगर किसी उम्मीदवार ने आवश्यक विषयों के साथ 10+2 पास किया है तो वह NEET-UG में उपस्थित होने के लिए पात्र होगी.
इसे देखते हुए, पहले 1997 के नियमों को संभावित रूप से निरस्त कर दिया गया था. अदालत में रखे गए पत्र और सार्वजनिक नोटिस के आधार पर पीठ ने कहा कि, यह साफ़ है कि सीबीएसई और राज्य शिक्षा बोर्डों के द्वारा मान्यता प्राप्त ओपन स्कूलों को एनईईटी परीक्षा आयोजित करने के उद्देश्य से एनएमसी द्वारा मान्यता दी जाएगी.
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